Short Story About Prithviraj Chauhan || पृथ्वीराज चौहान की कहानी हिंदी में

Spread the love

आज हम बताने जा रहें -पृथ्वीराज चौहान की कहानी हिंदी में ,Short Story About Prithviraj Chauhan उम्मीद है आपको जरूर पसंद आयेगी

Short Story About Prithviraj Chauhan ।पृथ्वीराज चौहान की कहानी हिंदी में

दिल्लीपति पृथ्वीराज चौहान से अनेक बार पराजित होकर भी मुहम्मद गोरी की भारत विजय की लिप्सा समाप्त नहीं हुई।
उसने फिर भारत पर आक्रमण किया। तराइन के युद्ध में अब की बार पृथ्वीराज को पराजय का सामना करना पड़ा।

मोहम्मद गोरी को जीवन-दान देने की जो भूल पृथ्वीराज चौहान ने की थी, वह भूल मोहम्मद गोरी नहीं करना चाहता था। उसने न केवल पृथ्वीराज को बंदी ही बनाया, अपितु उनकी आँखें भी निकलवा लीं।
उन्हें एक अँधेरे कैदखाने में डाल दिया गया।

पृथ्वीराज के सखा थे चन्द बरदाई। वे एड़ी-चोटी का जोर
लगाकर उनसे मिलने पहुंचे। उन्होंने गोरी से मुलाकात की।

मुलाकात में पृथ्वीराज की बात भी चली। चन्द बरदाई ने गोरी को बताया कि पृथ्वीराज शब्द-भेदी बाण मारता है। गोरी को उत्सुकता हुई। अत: पृथ्वीराज की परीक्षा लेने की तैयारी होने लगी।
एक मंच बनाया गया जिस पर गोरी विराजमान हुआ। राज्य के तमाम अधिकारीगण पृथ्वीराज की निशानेबाजी का दृश्य देखने के लिए उपस्थित हुए।
एक स्थान पर एक तवा टाँगा गया जिस पर चोट की जानी थी।
हथकड़ी और बेड़ियों में जकड़े हुए पृथ्वीराज को लाया
गया।
उनके बैठने के लिए साधारण-सा चबूतरा बनाया गया था।

बन्दी पृथ्वीराज को देखकर गोरी को हँसी आ गई। गोरी ने व्यंग्य करते हुए कहा, “बन्दी दिल्ली नरेश , हमने सुना है कि आप शब्द-भेदी बाण भी मारते हैं। आप क्या यह दिखाने के लिए तैयार हैं?”
गोरी के प्रश्न का उत्तर चन्द बरदाई ने दिया। ‘हाँ जहाँपनाह,
हमारे सम्राट इस परीक्षा के लिए तैयार हैं। इन्हें धनुष बाण दे दिया जाय।’
गोरी के आदेश पर पृथ्वीराज को धनुष और एक बाण दे दिया गया।
गोरी ने कहा, “दिल्ली नरेश! यदि बाण चूक गया तो आपकी
गरदन पर दूसरा बाण पड़ेगा।”
पृथ्वीराज ने प्रत्यंचा पर बाण रखा। तवे पर चोट पड़े, इसके पहले ही चन्द बरदाई ने कहा-

चार बाँस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण।
ता ऊपर सुलतान है, मत चूकै चौहान॥

चन्द बरदाई का कथन समाप्त भी न हो पाया था कि पृथ्वीराज के धनुष से बाण छूटा और गोरी के हृदय पर जा लगा। गोरी की जीवन-लीला समाप्त हो गई।

Short Story About Prithviraj Chauhan को अपने दोस्तों जरूर शेयर करें
Sayri-love.com इस कहानी के ऐतिहासिक सत्यता की प्रमाणिकता की पुष्टि नही करता।

पढें Subh Vichar in Hindi 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top