शवाशन 

मन एकाग्र शांत होता है। मस्तिष्क शक्ति को बढ़ाता है। व दिमाग भी तेज करता है। आत्मविश्वास बनाए रखता है। थकान दूर होती है, सकारात्मक रहते हैं। मानसिक  रोगियों के लिए यह फायदेमंद  आसन है इसे सबसे अंत में करें।

भुजंगासन 

पीठ की हड्डी मजबूत ,कब्ज गैस की समस्या दूर होती है। पाचन तंत्र मजबूत होता है। पेट की आंतरिक चर्बी घटती है। मोटापा घटता है। किडनी लीवर या पेट संबंधित रोगों और बैठकर काम करने वाले के लिए अच्छा है। 

उत्तानपादासन

 पेट से पेट का मोटापा घटता है और आंते मजबूत होती है। पाचन बेहतर करता है। पुराने कब्जे में आराम मिलता है और भूख पड़ती है। पेट और कमर की मांसपेशियों को ताकत मिलती है। इसे कम उम्र में अपनाने से लंबाई बढ़ती है। इससे पीठ दर्द में राहत व पूरे शरीर को मजबूती मिलती है

उत्तिष्ठ पद्मासन

 मन केंद्रित होता है। ब्लड प्रेशर, नियंत्रित और मांसपेशियां मजबूत व सुघटित होती हैं पाचन शक्ति बढ़ती है। कब्ज आदि से बचाव होता है और फैट जमा नहीं होता। चेहरे की झुर्रियां कम होती है। त्वचा में निखार आता है और उम्र का असर घटता है।

स्वस्तिकासन

पैरों के दर्द से राहत मिलती है। नियमित अभ्यास से पैरों में पसीना नहीं आता एवं पसीने की बदबू दूर होती है। प्रजनन संबंधी विकारों में आराम मिलता है। वह वायु रोग दूर करने में मदद करता है। शरीर और मन के बीच अच्छा संतुलन होता है।

त्रिकोणासन 

पैरों के बीच 4 फीट का गैप रखते हुए सीधे खड़े हो जाएं। बांया हाथ ऊपर उठाएं उठाएं व दिया जमीन को स्पर्श करें। दांया हाथ दाएं पैर पर रखें। अब स्ट्रेच करें। व गहरी सांस लें। यही प्रक्रिया बाएं पैर से भी करें। इस क्रिया को पांच छह बार दोहराएं । ज्यादा भी कर सकते हैं।

धनुरासन 

 पेट के बल लेट जाएं। पैरों को सटाते हुए हाथ पैरों के पास रखें। घुटनों को मोड़े और हाथों से टखने को पकड़े सांस खींचें व सीने  और जांघों को ऊपर उठाएं। हाथों से पैरों को खींचे 15-20 मिनट सेकंड बाद  सामान्य   हो जाए।

 वीरभद्रासन

 पैरों के बीच गैप रखते हुए सीधे खड़े हो हाथ ऊपर उठाते हुए सिर के ऊपर जोड़ ले ।दांये पंजे को 90 डिग्री और बाएं को 45  डिग्री पर घूमाएं।बाँया पैर  सीधा रखें। व दांएंको 90 डिग्री एंगल पर मोड़े। गहरी सांस लें ।

सर्वांगासन

पीठ के बल लेट जाएं। पैरों को ऊपर की तरफ उठाएं। हाथ कमर पर ले जाकर सहारा दे। कंधे, रीढ़ व हिप्स एक सीध में रखें। ऐसे 30 सेकंड से 3 मिनट तक रहें। धीरे धीरे रीढ़ को नीचे लाते हुए सामान्य  स्थिति में लौट आएं।

चक्रासन 

पीठ के बल लेटकर घुटनों को मोड़े और एड़ी को नितंब के पास लाएं। हथेलियां जमीन पर रखें। कंधों के समांतर पैरों को खोलें। वजन को बराबर बांटते हुए शरीर को ऊपर की ओर खींचते हुए उठाएं। कुछ समय ऐसे ही बने रहे।

 हलासन

 पीठ के बल लेटकर हाथ शरीर से सटा ले ।सांस खींचते हुए पैरों को ऊपर की तरफ उठाएं। दवाब पेट की मांसपेशियों पर रहेगा। अब पैरों को सिर के पीछे ले जाएं। वहां जमीन पर सीधे रख लें। फिर सांस छोड़ते हुए सामान्य हो जाए।

 बकासन 

दोनों पैर पास लाएं और हाथ जमीन पर रखें। हिप्स को हाथो के हाथों के बल ऊपर उठाएं। कोहनी  मोड़े ताकि  घुटने ऊपर आर्म्स पर टिक सके।पैरों को धीरे से फर्श से उठाएं। शरीर का वजन धीरे-धीरे  हाथों पर लेकर आएं। कुछ सेकंड ऐसे ही रहें।

पीठ दर्द के लिए योग

 ताड़ासन,अर्ध कटिचक्रासन ,त्रिकोणासन, बकासन, भूनमनासन, मार्जरी आसन, भुजंगासन,पादोतासन, एक पैर से पवनमुक्तासन सेतुबंध आसन, सलभासन।

जोड़ों के लिए

इसमें सुक्ष्म आसन उपयोगी होते हैं मणीशक्ति,अंगुली शक्ति। कपोनीशक्ति, स्कंधशक्ति, ग्रीवाशक्ति, विकासक और कटी संचालन आदि कर सकते हैं।

वरिष्ठो के लिए आसन 

अधिक उम्र में सूक्ष्म व्यायाम  के साथ ताड़ासन वृक्षासन (दीवार के सहारे )त्रिकोणासन  चक्की संचालन, वक्रासन वज्रासन (घुटने सही है तो) करें।

बच्चों के लिए योग

 5 साल की उम्र से अनुलोम-विलोम, मंत्रोच्चारण और डीप ब्रिदिंग करवाएं ,जबकि 7-8 वर्ष से सूर्य नमस्कार चक्रासन, भुजंगासन ,धनुरासन करवाएं।