देश भक्ति कविता || Desh Bhakti Kavita in Hindi

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Desh Bhakti Kavita in Hindi। देश भक्ति कविता । Desh Bhakti Poem in Hindi । Patriotic Poem in Hindi

देश भक्ति कविता । Desh Bhakti Kavita in Hindi-नाम है हिन्दुस्तान

इस धरती के फूलों में जो सबसे फूल महान्
नाम है हिन्दुस्तान उसी का नाम है हिन्दुस्तान

इसका मन इतना पावन है
जितनी पावन गंगा
फहर-फहर फहराता रहता
इसकी शान तिरंगा
रंगे गूंजते हर पग-पग पर मातृभूमि के गान…

फैली मन-भावन हरियाली
शस्य श्यामला माटी
धरती का जो स्वर्ग कहाती
काश्मीर की घाटी
धवल हिमालय सुना रहा है जग को गीता ज्ञान…

जन-जन को सिखलाया इसने
जन्मभूमि पर मरना
शांति अहिंसा की खातिर
निज जीवन अर्पित करना
दोहराता नित बच्चा-बच्चा जन-गण-मन के गान
नाम है हिन्दुस्तान उसी का नाम है हिन्दुस्तान।

Patriotic Poem in Hindi ।देश भक्ति कविता-यह देश हमारा है

यह देश हमारा है
हमको सबसे प्यारा है
अन्याय नहीं है सहना
सच ही अपना गहना
इतिहास हमारा है
खुद राह बनाएँगे
समता को लाएँगे
विश्वास हमारा है
पंछी से चहकेंगे
फूलों से महकेंगे
मधुमास हमारा है
कल की हम अरुणाई
युग की हम अँगड़ाई ।
हर प्रांत हमारा है
यह देश हमारा है।

Desh Bhakti Poem in Hindi । देश भक्ति कविता-सच्चे प्रहरी

हम भारत माँ के सेनानी
आगे बढ़ते जाएँगे
बाधाओं के हर पहाड़ पर
विजय हम फहराएँगे
नहीं झुकेंगे सिर ये अपने
बर्बरता के आगे भी जब
ज्वाला बनकर दहकेंगे
दूर कलुषता भागेगी
दानवता का दंश दमन कर
मानवता महकाएँगे
पड़ने देंगे नहीं देश पर
देश द्रोह का हम साया
बच्चा-बच्चा बलिदानी है
भारत-माता का जाया
हो जाएँ तन टुकड़े-टुकड़े
पीठ नहीं दिखलाएँगे
हमको प्यारी है आजादी
और तिरंगा प्यारा है
टूट न पाये देश हमारा
यही हमारा नारा है
हम हैं हिंद के सच्चे प्रहरी
अपना देश बनाएँगे॥

देश भक्ति कविता-अपना देश भारत -Desh Bhakti Kavita in Hindi

हम सब के प्राणों का प्यारा अपना भारत देश
आओ मिलकर सभी सजाएँ इसका प्यारा वेश

गीता रामायण की गाथा गाएँ सभी दिशाएँ
खुशहाली की भोर सुनहरी घर-घर तक पहुँचाएँ

छुपा हुआ इसकी मिट्टी में बापू का संदेश
गंगाजल जैसी पावनता इसके हों कण-कण में

देश धर्म पर मर मिटने के भाव जगें जन-जन में
मनमुटाव का दानव मन में रहे न बिल्कुल शेष

पग-पग पर निर्माण सुमन से महके भारत उपवन
पूरब पश्चिम गीत सुनाये झूमें उत्तर दक्षिण
प्रेम एकता के धागे में बँधे ये सुन्दर देश।

देश भक्ति कविता Desh Bhakti Kavita in Hindi-चरित्र की महानता

चरित्र की महानता प्रधान मेरे देश में
सभ्यता समानता प्रधान मेरे देश में

कंठ हैं अनेक किन्तु गीत एक देश का
वर्ग हैं अनेक किन्तु मीत एक देश का

सादगी सहृदयता प्रधान मेरे देश में
पंथ हैं अनेक किन्तु लक्ष्य एक देश का
धर्म हैं अनेक किन्तु तथ्य एक देश का

वीरता मनुष्यता प्रधान मेरे देश में
राज्य हैं अनेक किन्तु संघ एक देश का
गाँव हैं अनेक किन्तु अंग एक देश का
चेतना स्वतंत्रता प्रधान देश में
जाति हैं अनेक किन्तु रक्त एक देश का
शब्द हैं अनेक किन्तु अर्थ एक देश का
एकता समग्रता प्रधान मेरे देश में।
चरित्र की महानता प्रधान मेरे देश में ॥

देश भक्ति कविता-‘स्वर्णिम बेला आई -Desh Bhakti Kavita in Hindi

जाग उठा है भाग्य देश का गूंज उठी शहनाई
बीत गये दुर्दिन दुखियों के स्वर्णिम बेला आई
लगा हुआ है कदम-कदम पर मानवता का डेरा
टूट रहा है आज देश में जात-पात का घेरा
सुविधाओं की गठरी में अब हिस्सा सबका भाई…
दृढ़ संकल्प लिये हम आगे बढ़ते जाएँ
दूर करें सब पथ के रोड़े सीधी राह बनाएँ
मेहनत की बगिया में बिहसे पात-पात अरुणाई…
समता के ही सुमन खिले अब मानव मन उपवन में
करे राष्ट्र उत्थान प्रेरणा जागे यह जन-जन में
सम्बल लेकर आशाओं का अरुण मुस्काई…..

देश भक्ति कविता Desh Bhakti Kavita in Hindi-लाल बहादुर गाँधी

दो अक्टूबर के दिन जनमे
लाल बहादुर-गाँधी
खुशियों का यह पर्व अनोखा
मिली हमें आजादी
सत्य अहिंसा का एक साधक
राष्ट्र-पिता कहलाया
जय जवान और जय किसान कह
और दूसरा गाया
ये दो ऐसे फूल खिले थे
महक उठी हर वादी…..दो अक्टूबर …।
नेक रहें हम एक रहें
सीने पर गोली खाई
लुटे सुहाग हजारों लाखों
तब शुभ वेला आई
देश छोड़ भग गये फिरंगी
बहुत करी बरबादी…दो अक्टूबर …।
भागीरथ बनकर लाये वे
आजादी की गंगा
लाल किला प्राचीर से फहरा
अपना अमर तिरंगा
पंद्रह अगस्त सन् सैंतालीस की
रात सुहानी आधी-
दो अक्टूबर के दिन जनमे
लाल बहादुर-गाँधी।

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Desh Bhakti Kavita in Hindi मूल रूप से रचनाकार रश्मि देसहरे हैं।

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